સુવિચાર

સુવિચાર :- "શિક્ષક પોતે શીખતો ન રહે તો તે કદી શીખવી ન શકે - રવીન્દ્રનાથ ટાગોર જીવનમાં કોઈ પણ માણસને ખોટો ના સમજવો. તેના પર વિશ્વાસ રાખવો. કેમકે એક બંધ ઘડીયાળ પણ દિવસમાં ૨ વાર સાચો સમય બતાવે છે. કોઈ કામ માટે ભીતરનો અવાજ ના પાડે તો તે કામ છોડી દેજો, અન્યથા પસ્તાવવાનો વખત આવશે.

રવિવાર, 21 ઑગસ્ટ, 2016

બિતે હુએ લમ્હોં

अभी अलविदा मत कहो दोस्तों
न जाने कहा फिर मुलाकात हो

बीते हुये लमहों की कसक साथ तो होगी
ख्वाबों ही में हो चाहे, मुलाकात तो होगी

ये प्यार में डूबी हुई रंगीन फजायें
ये चेहरे, ये नज़रे, ये जवां रुत, ये हवायें
हम जाये कही इन की महक साथ तो होगी

फूलों की तरह दिल में बसाये हुये रखना
यादों के चरागों को जलाये हुये रखना
लंबा है सफ़र इस में कही रात तो होगी

ये साथ गुज़ारे हुये लमहात की दौलत
जज़बात की दौलत ये ख़यालात की दौलत
कुछ पास न हो पास ये सौगात तो होगी

દિલીપ વિનાની રાતો

सुहानी रात ढल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे
जहाँ की रुत बदल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे

नजारें अपनी मस्तियाँ, दिखा दिखा के सो गये
सितारें अपनी रोशनी, लूटा लूटा के सो गये
हर एक शम्मा जल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे

तड़प रहे हैं हम यहाँ, तुम्हारे इंतजार में
खिज़ा का रंग आ चला है मौसम-ए-बहार में
हवा भी रुख बदल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे